पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी (सीहोरे वाले) द्वारा श्री शिव महापुराण की कथा में बताये कुछ अचूक उपाय लिखित रूप में
शिव महापुराण के कार्य सिद्धि के लिए प्रदोष के कुछ उपाय
- अगर आपका कोई काम हो ही नहीं रहा हो, या काम बनते बनते बिगड़ जाता हो, व्यापार नहीं चल रहा हो या बिमारी ने घेर रखा है तो प्रदोस का ये उपाए करे। प्रदोष काल में एक ताम्बे के कलश में जल भर के उसमे 5 बेल पत्र दाल लिजिये, 5 शमी पत्र दाल लिजिये और 7 दाने अक्षत के दाल लिजिये। घर में एक घी का दिया जला दिजिये फिर कलश के जल को शिवमंदिर ले जा कर भगवान शंकर के शिवलिंग पर जल समरपित कर दिजिये अपनी कामना करते हुए। बिना चप्पल पहने मंदिर जाना है। दिया घर में ही जला के जाना है। मंदिर में दिया नहीं ले जाना है। फिर घर वापिस आ जाए। इस उपाय को नियम से हर प्रदोस पर करने से सब रुकावट अपने आप हटने लगती है
- एक कटोरी में थोड़ा सा गंगा जल निकाल लीजिये। अब एक सिक्का ले ले (1 का 2 का 5 का या 10 का, अपनी सुविधा के अनुसार)। अब कटोरी को अपने रसोई घर के पानी वाले जगह पर रख दे, जहां आप पीने के पानी का घड़ा या आरो (R.O) रखते हैं। भगवान कुंदकेश्वर महादेव का नाम स्मरण कर के अपने मन की कामना करते हुए वह सिक्का गंगाजल की कटोरी में डाल दे। सिक्के को आप इस भाव से गंगाजल में डालिए की आप कुंदकेश्वर महादेव को गंगाजल का स्नान करवा रहे हैं। उसके बाद आप उस गंगा के जल को अपनी उंगलियों से अपने आंखों से लगा के अपने उस ज़रुरी काम के लिए निकल जाए। वो काम आपका सफल हो के ही रहेगा। जब आपका काम पूरा हो जाए तो उस कटोरी के जल को शिव मंदिर ले जा के जल शिवलिंग पे समर्पित कर दे और सिक्का दान पत्र में डाल दे। शिव जी को धन्यवाद दे आपका काम पूरा करने के लिए।
- अगर आपका कोई काम बहुत जरूरी है, नहीं हो रहा, जैसे कर्जा बढ़ रहा है, व्यापार नहीं चल रहा, परीक्षा में बैठे और निकल ही नहीं रहा या कोई और समस्या बहुत प्रबल है तो प्रदोष के दिन का ये उपाए करना शुरू कर दे । प्रदोष के दिन, प्रदोष काल में एक तांबे के कलश में थोड़ा जल भर ले उसमे बेल पत्र डाल ले (बन सके तो 1 बेल पत्र या 7 या अपनी सुविधा से जो मिल जाए), शमी पत्र, हरे मूंग और थोड़ा सा गुड़ डाल ले। शिव मंदिर जा के शिव जी का स्मरण कर के, अपनी मन की इच्छा बोल के जल को शिव जी के शिवलिंग पर समर्पित कर दे। 2 या 3 प्रदोष करेंगे तो बाबा आपकी मनोकामना बहुत जल्दी पूरी कर देंगे।
- जिसके घर में कलेश ज्यादा रहता हो या अशांति बनी रहती हो तो किसी भी प्रदोष के दिन प्रदोष काल में 7 बेल पत्र और एक सफेद कच्चे सूत को ले के शिवमंदिर जाए। मंदिर में नंदी जी का जो पाओ ऊंचा रहता है उस पाओ के पास शंकर जी और माता पार्वती का ध्यान करते हुए बैठ जाए। फिर अपना नाम और गोत्र स्मरण कर के उस कच्चे सूत से सातो बेल पत्र के डंडी वाले भाग को एक साथ लपेटना शुरू कर दे। इसके बाद सातो बेल पत्ती का जो सबसे ऊपर वाला हिसा है (सामने का हिस्सा) उसपे लाल चंदन लगाना है। और वो सातो बेल पत्र शंकर जी के शिवलिंग पे चढा देना है। जिस घर का गोत्र बोला गया है उस घर में फिर कभी कलेश नहीं हो सकता।
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