पशुपति व्रत एवम विधि

pradeep mishra ji

नमः शिवाय:

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं

पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी (सीहोरे वाले) द्वारा श्री शिव महापुराण की कथा में बताये कुछ अचूक उपाय लिखित रूप में

पशुपति व्रत एवम विधि

पशुपतिनाथ का एक व्रत होता है जिसे कहते हैं पशुपति व्रत। यह व्रत 5 सोमवार का होता है। इस पशुपति व्रत को करने से किसी भी मनोकामना को पूरा किया जा सकता है। रोग, बिमारी, नौकरी, व्यापार, कर्जा, शादी, संतान, आदि। 

व्रत और पूजन की विधि।

  • सुबह पूजा की थाली लगाकर ले जाओ। थाली में जल, अभिषेक का समान, चंदन, अक्षत, फूल, बेल पत्र, इतर और भी जो पूजा की समग्री होती है सब रख कर ले जाना है।
  • बाबा का स्नान पूजन करे। बाबा से निवेदन और विनती करे: ‘मैंने पशुपति व्रत रखा है और मेरी ये कामना है। मैंने शिवमहापुराण की कथा में ऐसा सुना है की इस व्रत को करने वाले व्यक्ति की मनोकामना आप अवश्य पूरी करते हैं। मेरी भी मनोकामना पूरी करिये बाबा’।
  • पूजा संपन्न होने के बाद थाली लेकर घर आ जाए।

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  • इसके बाद शाम के समय प्रदोष काल में वापस सुबह वाली पूजा की थाली लेनी है।थाली में 6 घी के दिए रख लेना है और कुछ भी मीठा का भोग बनाकर उसे भी थाली में रखकर ले जाना है।
  • मीठा भोग जो बना है उसके 3 हिस्से करना होता है इसलिय साथ में 3 दोना या कागज या कोई पत्ता साथ ले जाए जिसमे 3 हिस्से करके रख दे।
  • अब मंदिर जाकर बाबा को जल का छींटा देकर पूजन करे। फूल, बेल पत्री, चंदन, अक्षत, समर्पित करे।
  • फिर जो 6 घी के दीपक ले गए हैं उसे थाली से बहार करके रख ले।6 में से 5 दिया जलाना है और एक दिया नहीं जलाना है।
  • जब पहला दिया प्रज्वलित करे तो बाबा से विंति करे की बाबा मैं आपका पशुपति व्रत कर रही हूं, मेरी ये मनोकामना है। मुझे विश्वास है की आप मेरी मनोकामना जरूर पूरी करेंगे। ऐसे करके पांचो दिए प्रज्वलित करले।
  • इसके बाद जो मीठा बनाकर ले गए हैं उसे भी थाली से उतार कर बाबा के सामने रखे और उसके 3 बराबर हिस्से करले। बाबा को दो हिस्से दे दे और एक हिस्सा मीठा का वापस अपनी थाली में रख ले।
  • जो दिया प्रज्वलित नहीं हुआ है उसे भी उठा कर वापस थाली में रख ले।
  • बाबा से पूजा में हुए किसी भी तरह की गलती के लिए माफी मांगे।

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  • अब थाली लेकर जब आप घर वापस आए तो घर में प्रवेश करने से पहले घर के बाहर अपने दाईं ओर वह दिया को रख दे जो आप मंदिर से लेकर आए हैं। दरवाजे के बहार बैठकर उस दिए जो प्रज्वलित करे और साथ ही बाबा से निवेदन करे की मेरी ये कामना है और आपको पूरी करना है।  दीपक जलाकर और अपनी कामना बोलकर घर में प्रवेश कर जाए।
  • जो एक भाग प्रसाद का आप मंदिर से लेकर आए हैं उसे घर के किसी भी सदस्य को नहीं देना है। उस प्रसाद को केवल वही व्यक्ति खाएगा जिसने पशुपति व्रत किया है।
  • इस व्रत में सुबह फलाहारी करते हैं और शाम को भोजन। शाम का भोजन करने से पहले जो प्रसाद मंदिर से लेकर आए है उसे खाना है। पूरा प्रसाद खा लेने के बाद ही भोजन करना है।
  • ऐसे 5 सोमवार करना है ये व्रत।जिस दिन पांचवा सोमवार हो उस दिन सुबह की पूजा वैसी ही होगी जैसी बाकी के सोमवार को हुई। शाम के समय पूजा की थाली में एक श्रीफल (नारियल) और उसपे 11 रुपये रखकर ले जाए।
  • साथ ही कुछ भी समग्री 108 ले जाये जैसे बेल पत्र, अक्षत, मूंग के दाने या कोई पुष्प, या जो भी आपको आराम से मिल जाए।रोज़ाना की तरह पूजा पाठ करके मीठा का 3 हिस्सा कर लेने के बाद बाबा को नारीयल और दक्षिणा भेट करे और साथ ही जो 108 वास्तु आप ले गए है वो भी समर्पित कर दें।
  • बाबा से विंति करे कि हे बाबा मेरा पांच सोमवार का पशुपति व्रत आज पूरा हो रहा है। आपके भरोसे ये व्रत किया है मैंने, अब आप संभाल लेना। श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजन करे और बाकी सब बाबा पर छोड़ दे।

व्रत में ध्यान देने की कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • थाली में पूजा का जो भी समान रखा जाता है वो इतनी मात्रा में लेना है जो की सुबह और शाम दोनो वक्त काम आ जाए।
  • जल को छोड़कर, शाम को अलग से कोई पूजा का समान रखकर नहीं ले जाना है।
  • अगर कोई वस्तु पूजा की आपके पास नहीं है तो उसे ना ले जाए लेकिन मंदिर में किसी से उधार मांग कर बाबा को ना चढाये।
  • बाबा से अपनी कामना को केवल पहले सोमवार बोलना है की आप पशुपति व्रत कर रहे हैं और ये मनोकामना से कर रहे हैं।
  • मीठा भोग जो बनेगा वो केवल उतनी ही मात्रा में बनाना है जो मंदिर जाए। भोग में कुछ भी हिस्सा घर पर छोड कर नहीं जाना है बाकी के सदस्यों के लिए। जो भी बनेगा वो बाबा को पुरा जाएगा।
  • फलाहारी में नमक का भी सेवन कर सकते हैं।
  • भोजन में अन्न का सेवन कर सकते हैं और नमक भी खा सकते हैं।

हर हर महादेव

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