पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी (सीहोरे वाले) द्वारा श्री शिव महापुराण की कथा में बताये कुछ अचूक उपाय लिखित रूप में
नेत्रों की ज्योति बढ़ाने का उपाए
हर महीने शिवरात्रि आती है। शिवरात्रि वाले दिन एक बेल पत्री की बीच वाली पत्ती पर शहद लगा लीजिये। शहद लगा के पत्ते को शंकर जी के शिवलिंग पे चिपका दीजिये। श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का स्मरण करिये या लिंगायत अष्टक का एक पाठ कर लीजिये। इसके बाद बेल पत्र को निकाल लीजिये और उसमे लगे शहद को एक शीशी में भर के रख लीजिये। बारहो महीने की शिवरात्रि पे ये उपाय करिये और शहद को वही शीश में भरते जाइए। जब पहले दिन इस उपाय को करे तो उस दिन से ही शहद को अपनी आंखों में काजल जैसा लगाना भी शुरू कर दे। धीरे-धीरे आपके आंखों की रोशनी भी बढ़ जाएगी और चश्मा भी उतर जाएगा।
शंकर जी के मंदिर जाए और तुम्बरुका जी का नाम ले कर एक घी का दिया लगाये। दिए पर एक प्लेट रख दीजिये और फिर इसका काजल निकाल के गाय के घी में मिला के आंखों में लगाना शुरू कर दीजिये। साथ ही तुम्बरुका जी का नाम स्मरण करते हुए, चांद को देखिए, नाम स्मरण करिए। इस उपाय से आंखों की रोशनी बढ़ेगी, चश्मा भी उतर जाएगा।
प्रदोष के दिन पीपल के पत्ते पर शहद लगाये, और उस शहद को शंकर जी के शिवलिंग पर कुंदकेश्वर महादेव का नाम ले कर समर्पित कर दीजिये। पत्ता चिपकाना नहीं है, पत्ते पे शहद रख के शिवलिंग पे तपकाना है। अब इस चढी हुई शहद को अपनी उंगली से उठा के पीपल के पत्ते पे वापस रख के घर ले आईये। इस शहद को नैनो में काजल जैसा लगाना शुरू करें भगवान कुंदकेश्वर महादेव का स्मरण करते हुए। शहद असली होना चाहिए। 3 से 5 दिन लगा के देखें। आपके आंखों की रोशनी बढ़ने लगेगी।