हरतालिका तीज की पूजन-विधि

pradeep mishra ji

नमः शिवाय:

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं

पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी (सीहोरे वाले) द्वारा श्री शिव महापुराण की कथा में बताये कुछ अचूक उपाय लिखित रूप में

हरतालिका तीज की पूजन-विधि

  • हरतालिका तीज भादो महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन मनाया जाता है।
  • तीज का व्रत करने वाली नारी या कुवारी कन्या को पूर्ण श्रृंगार करना चाहिए।
  • यह व्रत प्रदोषकाल से शुरू होता है।
  • हरतालिका तीज की पूजा 5 पहर की होती है जो प्रदोष काल से शुरू हो कर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में अंत होती है।
  • जब आखिरी पहर की पूजा होती है तो उसमें व्रत करने वाली माता पार्वती जी को सिंदूर दान देती है और सिंदूर को अपने मांग में भी भरती है।
  • अलग अलग पूजन में भगवान की अलग अलग आरती होती है।
  • पूजा की थाली वही की वही रहती है। उसीसे पूरी रात पूजन होती रहती है।

पूजन-विधि

  • हरतालिका तीज की पूजा में एक पाटा रखकर उसके ऊपर केले के पत्ते लगाकर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया जाता है। पार्वती और गणेश जी का निर्माण किया जाता है।
  • शिवलिंग के ऊपर फूल पत्तियों से फुलेरा बनाकर लटकाया जाता है, जो की बहुत जरूरी होता है।
  • जल, पंचामृत स्नान, चंदन, धूप, दीप, फल, मिठाई का भोग, आदि से पूजा अर्चना करने के बाद कथा सुनाया जाता है। 
  • रात भर शिवजी की आराधना, भजन, कीर्तन, मंत्र स्मरण किया जाता है।
  • आखिरी पहर की पूजन, आरती, सिंदूरदान हो जाने के बाद, शिवलिंग का विसर्जन किया जाता है।
  • विसर्जन किसी नदी, तालाब या जहां बहता पानी हो वहां किया जाता है।
  • विसर्जन के लिए पार्थिव शिवलिंग को ले जाने से पहले जो फुलेरा ऊपर लटका है उसे खोल लेना चाहिए और उसमें जो फूल पत्ती माला लगी है उनको निकाल कर नीचे रख लेना चाहिए। फुलेरे की फूल पत्तियों को प्रणाम करते हुए माता पार्वती से विंति करनी चाहिए की जैसे आपका अखंड सौभाग्य है वैसा ही पूजा के फल स्वरूप हम पर कृपा करिये की हमारा भी अखंड सौभाग्य रहे।
  • प्रणाम करने के बाद फुलेरा और बालू-रेत के शिवलिंग को विसर्जन के लिए ले जाए। पहले शिवलिंग का विसर्जन करे और उसके ऊपर फूल पत्तियों का। फुलेरा को बनाने में जो बास, डंडी या दलिया का उपयोग किया गया था उसका विसर्जन नहीं करना है पानी में, जिससे की पानी प्रदूषित ना हो।
  • जो नारी व्रत करती है उसे विसर्जन तक जरूर जाना चाहिए।

फुलेरा लटकाने से क्या लाभ या फल की प्राप्ति होती है?

  • शिवमहापुराण के अनुसार जिस बच्चे के विवाह में देर हो रही हो, शादी नहीं तय हो रही हो वो अगर तीज वाले दिन कोई भी 7 फुलेरे का दर्शन कर ले तो 3 महीने में विवाह पक्का हो जाता है।
  • इसी तरह, जो नारी का पति बहुत ज्यादा रोग से ग्रसितरहता है वो भी अगर 7 फुलरे का दर्शन कर ले तो अखंड सौभाग्यवती हो जाती है।
  • 7 फुलेरा कहीं का भी हो सकता है, यानी मंदिर हो या घर हो। बस ध्यान ये रखना है की ये सात फुलेरे का दर्शन अलग अलग जगह होना चाहिए।

30 अगस्त 2022 : हरतालिका तीज

हरतालिका तीज के फुलेरा का दर्शन और महत्व 

हर हर महादेव

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