नमः शिवाय:
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी (सीहोरे वाले) द्वारा श्री शिव महापुराण की कथा में बताये धनतेरस – दिवाली पूजा विधि लिखित रूप में
II धनतेरस – दिवाली पूजा विधि II
*** टिप्पणी/नोट: इस पोस्ट में दिखाए गए वीडियो 2021 के हैं, जब पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी ने हमें दीवाली पूजा की विधि के बारे में बताया था।
लक्ष्मी पूजा 5 दिनों की होती है। आइए जाने श्री शिवमहापुराण में दिए पूजा की विधि।
Day 1: धनतेरस
धनतेरस का त्योहर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जो व्यक्ति धनतेरस के दिन धन्वंतरि भगवान की पूजा करता है उसके घर से लक्ष्मी कभी बाहर नहीं जाती है। धन्वंतरि, भगवान श्री हरि विष्णु के ही एक अंश है।
लक्ष्मी पूजन की विधि
- धनतेरस की पूजा का समय प्रदोष काल से शुरू हो जाता है।
- पूजा की थाली में कुमकुम, रोली, हल्दी, अबीर, गुलाल, चंदन, मोली, 7 अमर बेल के टुकड़े, 7 कमल गट्टे, 7 हल्दी की गांठ, जल का पत्र रख ले।
- ज़मीन पर देसी गाय के गोबर से लीपन करे। अगर गोबर का लीपन नहीं कर सकते हैं तो किसी पवित्र जल से भूमि का लीपन करें।
- लीपन करके वहा गेहूं के आटा और हल्दी से सुंदर चौक पुर दे। (आटा समृद्धि को बढ़ाने का प्रतीक है और हल्दी लक्ष्मी वैभव को बढ़ाने का प्रतीक होता है।)
- कुछ अक्षत या गेहूं के दाने उसके ऊपर रखकर एक चौकी या पाटा उसके ऊपर रख दे। चौकी पर एक लाल कपड़ा बिछा दे।
- एक थाली ले, कुमकुम/रोली को गीला करके थाली पर स्वास्तिक बनाएं।
- घर में चांदी का सिक्का हो तो उसे थाली में स्वास्तिक के ऊपर रख दे। कोई भी एक देसी सिक्का भी रख ले (1,2,5,10, कोई सा भी)। चांदी का सिक्का नहीं हो तो जो भी सिक्का आपके पास हो, 1,2,5,10, बस वही रख ले। थाली को चौकी पर रख ले।
- आटे के 7 दीये बनाकर एक प्लेट में रख ले। दिए में लंबी बाती रखकर घी डाल दे। सभी दियो को प्रज्वलित कर ले। इसके अतिरिक्त एक दिया तेल का लगा ले।
- जो तेल का दिया है वो सिक्के के बाईं तरफ रखना है और जो 7 घी के दिए हैं वो सिक्के के दाईं ओर रखना है। (इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि आपके सामने पूजा की चौकी है तो आपको अपने दाईं ओर तेल का दिया रखना है और अपने बाईं तरफ सातो घी का दिया को एक प्लेट में करके रखना है चौकी के ऊपर।)
- सिक्के का पूजन करे। जल के छींटे डाले, रोली कुमकुम लगाये। चांदी का सिक्का और देसी सिक्का दोनो पर मोली लपेटे। पहले चांदी के सिक्के पर मोली लपेटे और फिर देसी सिक्के पर लपेटे। सिक्के वापस थाली में रख दे और एक बार फिर से जल का छींटा डाले और सिक्के की पूजा कुमकुम, रोली, हल्दी चंदन आदि से करे।
- कुछ चावल को हल्दी में भीगो कर पीला कर ले। अपने बाएं हाथ में चावल को रखे और दाएं हाथ से चावल थोड़ा थोड़ा करके दोनो सिक्के (जो माता लक्ष्मी का प्रतीक है) पर समर्पित करते जाएं और उनका पूजन करें।चावला छोड़ते समय भगवान गणेश का भी स्मरण करे- हे! रिद्धि सिद्धि के देवता भगवान गणेश आप हमारे यहां सदा माता लक्ष्मी, नारायण और कुबेर को लेकर विराजमान रहे। चावल छोड़ते जाए और माता लक्ष्मी, गणेश भगवान, शिव जी, भगवान विष्णु सबका स्मरण करते जाए।
- सब चावल समर्पित कर लेने के बाद, 7 अमर बेल के टुकड़े, 7 कमल गट्टे, और 7 हल्दी की गांठ भी माता लक्ष्मी को समर्पित कर दे। यानी जो सिक्के रखे हैं उसके ऊपर चढ़ा दे।
- अपने दोनो हाथ में पिसी हुई हल्दी ले और सिक्के के ऊपर धीरे धीरे दोनो हाथो से चढ़ाये। 7 बार पिसी हुई हल्दी को सिक्के पर चढ़ाये, अपनी मनोकामना करके और माता लक्ष्मी को अपने घर में विराजमान करने के लिए।
- इसी प्रसार रोली/कुमकुम को दोनो हाथ में लेकर सिक्के पर चढ़ाये।
- इसके बाद जो मीठा भोग आपके पास हो वो माता लक्ष्मी को समर्पित करें।इतनी पूजा कर लेने के बाद अपने घर के मंदिर में भी रोज की तरह पूजा कर ले।
- पूजा कर लेने के बाद माता लक्ष्मी से निवेदन करिये की हे माता आप हमारे घर में सदा विराजमान रहे।
- अब जो 7 घी के दिए रखे है, उससे माता लक्ष्मी की आरती उतारे।
- झोली पसार कर माता को प्रणाम करे और भूमि पर नमन करिये।
- फिर ये सात दियो को घर में 7 अलग अलग स्थानपर रख दे, जैसे एक किचन में, एक हॉल में, एक तिजोरी के पास, एक तुलसी से क्यारे के पास आदि। एक दिया वही माता लक्ष्मी के पूजा वाले स्थान पर ही रहने दे।
- धनतेरस के दिन जो भी नया वस्तु आप खरीद कर लाए है उसकी भी पूजन धनतेरस के दिन कर लेनी चाहिए।
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Day 2: नर्क चतुर्दशी/ रूप चतुर्दशी/ छोटी दीवाली
- छोटी दीवाली कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है।
लक्ष्मी पूजा विधि
- छोटी दिवाली की पूजा उसी चौकी पर करनी है जिसपे धनतेरस की पूजा हुई थी। सिक्के की थाली भी वही रहेगी। बस जो धनतेरस के दिन पूजा की समग्री समर्पित की गई थी उसे हटा के सिक्के और थाली पोंछ कर साफ कर ले।
- एक आटा का दिया बनाएं 4 बत्ती का और उसमे कोई भी तेल डाल दें । (सरसों या तिल)। थोड़े पीले सरसो भी दीपक में डाल दें ।
- एक दीपक घी का बनाएं एक बाती का। तेल का दिया सिक्के की थाली के बायें तरफ और घी का दिया दाहिनी ओर विराजमान कर दें।
- माता लक्ष्मी और गणेश जी का स्मरण करके जल का छींटा दे सिक्के पर।
- रोली, हल्दी, चावल, अबीर, गुलाल, मेहंदी, या जो भी पूजा की सामग्री आपके पास उपलब्ध हो वो सब माता लक्ष्मी पे समर्पित करें जैसे धनतेरस वाले दिन किए।अगर संभव हो तो लाल रंग के फूल सिक्के पर समर्पित करें।
- 5 अमर बेल के टुकड़े, 5 कमल गट्टे, 5 हल्दी की गाँठ भी समर्पित करें।
- मीठे का भोग लगाये।
- एक बाती वाले घी के दिए से मां की आरती उतारे।
- झोली फैलाकर माता को प्रणाम करें। हे मां! आप रूप देने वाली हो, नरक के भोग से छुड़ाने वाली हो, भगवान नारायण के साथ हमारे यहां सदा के लिए विराजमान हो जाए।
- अपने कुल देवी-देवता का स्मरण करें।
- घर के सब दरवाजे कुछ देर के लिए खोल दे ताकी मां का आगमन हो जाए।
- फिर जो घी का दीपक लगाए है उसे उठाये और पूरे घर में घुमाने के बाद घर के मुख्य प्रवेश द्वार के बीच में रख दे। द्वार पे नमन करें। कुछ देर द्वार खुला रहने दे।
- इस तरह सुंदर भाव से पूजा करे।
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Day 3: दीपावली
दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
लक्ष्मी पूजा विधि
- दिवाली की पूजा आप वैसी ही करिये जैसी आप हर साल करते आए हैं।
- इसके अलावा, आपने जो सिक्के (माता लक्ष्मी का स्वरूप) धनतेरस वाले दिन विराजमान किए हैं उसकी पूजा भी दीवाली वाले दिन करनी है।
- धनतेरस वाले दिन की चौकी, चांदी के सिक्के, थाली, साफ करके विराजमान कर दे।
- एक घी का दीपक और एक तेल का दीपक लगाये। ध्यान रखे की ये दोनो दीपक रात भर अखंड जलना है।
- रोली, हल्दी, पीली चावल, चंदन, अबीर, गुलाल मेहंदी, फूल, माला, इत्र, 5/7 कमल गट्टे, 5/7 अमर बेल के टुकड़े, 5/7 हल्दी की गांठ आदि माता लक्ष्मी (जो सिक्के थाली में है) को समर्पित करें।
- थोड़े हरी मूंग, साबुत धनिया, गुड़ भी समर्पित करें।माँ को मिठाई का भोग लगाये।
- माता लक्ष्मी-गणेश की जो तस्वीर आप लेकर आए हो उसे भी पूजन वाली जगह रखकर उसकी पूजा करें।
- माता को प्रणाम करें, अपने कुल देवी-देवता का स्मरण करें, पूर्वजो का स्मरण करें। अपने घर के मंदिर के सभी देवी देवता का स्मरण करें।
- इसके बाद दिवाली पर जितने दीये आप जलाते हैं वो सब भी लगा ले। आनंद से दिवाली के त्यौहार को मनाये।
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Day 4: गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन की जाती है। इस त्यौहार को लोग अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं।
लक्ष्मी पूजा विधि
- जिस थाली में चांदी के सिक्के स्थापित हैं उनको साफ करके जल का छींटा देकर उसकी पूजा करें।
- पूजन के लिए रोली, चावल, मोली, हल्दी, 7 लाल फूल, 2 हल्दी की गांठ, 2 कमल गट्टे, 2 अमर बेल के टुकड़े समर्पित करे।
- भोग में 2 तरह का मीठा चढ़ाये।
- माता लक्ष्मी को घी के 5 दिए लगाए।
- पूजा अर्चना करके माता लक्ष्मी से निवेदन करे की हे मां! आप हमारे यहां धन-वैभव-लक्ष्मी का भंडार भरे।
- पांचों घी के दीपक से माता की आरती करें।
- जब पूजा हो जाए तो पांचो दीपक को 5 अलग अलग जग स्थापित कर दे।
- एक दीपक वही रहने दे जहां माता लक्ष्मी की पूजा हुई हैं। एक दीपक जहां गोवर्धन जी की पूजा किया है आपने वहां रख दे, एक दीपक रसोई में पानी के मटके के पास, एक दीपक घर के हॉल में, मुख्य दरवाजे के पास, और एक दीपक तुलसी के क्यारे के पास।
- कुछ देर अपने द्वार के पास खड़े होकर माता का आह्वान करें तथा माता और साथ ही गिरिराज बाबा से विनती करें की वो आपके घर में लक्ष्मी संपदा की वृद्धि करें।
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Day 5: भाई दूज
भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
लक्ष्मी पूजा विधि
- माता लक्ष्मी की पूजा की थाली जिसमें दो सिक्के रखा था आपने, आज भी उस थाली की रोज की तरह पूजन करें।
- 1 कमल गट्टा, 1 हल्दी की गाँठ, और 1 अमर बेल का टुकड़ा, समर्पित करें।
- घी के 5 दीये लगाये।
- माता लक्ष्मी की सुंदर पूजा रोली, हल्दी, चंदन, अबीर, गुलाल, चावल, पुष्प, मेहंदी आदि से करें।
- माता को भोग लगाये।
- घी के दीपक से आरती करें।
- झोली पसार कर माता से निवेदन करें की हे माँ! आप हमारे घर के अंदर सदा विराजमान रहिये।
- इसके बाद अपनी झोली में दोनो सिक्के डाल लें, साथ ही जो एक कमल गट्टा, 1 हल्दी की गाँठ, और 1 अमर बेल का टुकड़ा है वो भी झोली में डाल लें।
- जो चौकी/पाटा है उसे हिला के उसके स्थान से थोड़ा हटा दें, थाली हटा दें। हाथ में थोड़ा सा जल लेकर जहां चौकी स्थापना थी वहां पोछा फेर दें।
- झोली के समान को सिक्के के साथ एक कपड़े या डब्बे में अपने तिजोरी या अमलमरी में शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी जी का नाम लेकर रख दें।
- जो 5 दीपक आपने जलाएं थे उसको 5 अलग अलग स्थान पर रख दे।एक दिया तिजोरी में जहां सिक्के रखे हैं आपने उसके पास कहीं साइड में रख दिजिए, एक दिया अपने घर के मंदिर में, एक दिया रसोई में पानी के स्थान पर, एक दिया तुलसी के पास और एक दिया घर के मुख्य द्वार के पास हॉल में।
- इसके बाद द्वार पर थोड़ा सा पीला चावल डालकर अंदर की तरफ प्रवेश करिये।
- इस प्रकार ये 5 दिवस पूजन माता लक्ष्मी की विराम लेती है।
- आप सब को दीवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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हर हर महादेव