नमः शिवाय:
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी (सीहोरे वाले) द्वारा श्री शिव महापुराण की कथा में बताये कुछ अचूक उपाय लिखित रूप में
16 श्राद्ध में 27 बार जल चढ़ाने का फल
क्या पितृ-पक्ष में कोई शुभ कार्य करना चाहिए?
- शिव महापुराण की कथा कहती है की 16 श्राद्ध में ऐसा नहीं है कि कोई पुण्य का कार्य नहीं करना चाहिए।पितृ हमारे पूर्वज होते हैं इसलिय हम कोई अच्छा कार्य कर रहे हैं तो वो खुश होकर हमको आशीर्वाद ही प्रदान करेंगे।
पितृ दोष के 4 लक्षण!
- घर में एक-न-एक व्यक्ति बीमार पड़ा रहता है।
- एक रुपया कामाया, सवा खर्च हो रहा।
- घर के सदस्य में आपस में क्लेश बना रहता है।
- घर के बच्चे चिड़- चिड़ स्वभाव के होते जा रहे।
27 बार जल चढ़ाने का फल
- श्राद्ध पक्ष में एक बात की विशेषता यह है की हमको 27 मनके की माला से भगवान का मंत्र जाप, नाम जाप, भजन करना चाहिए।
- 27 बार अपने पूर्वज के निम्मित भगवान का नाम लेने से होता यह है की एक तो घर के पितृ दोष दूर हो जाते हैं और दूसरा ये की हमें तड़पन, पिंड दान, गया जी जाने की आवश्यकता नहीं है।
- 27 बार भगवान का स्मरण करने से श्राद्ध पक्ष में गया जी, पिंड दान, ब्रह्म कपाली का फल मिल जाता है और हमारे पूर्वजो की मुक्ति निश्चय हो जाती है।
- अगर 16 श्राद्ध में आप 27 बार नाम जाप नहीं कर सकते हैं तो जब भगवान शंकर के शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने जाए तो उस जल को धीरे-धीरे 27 बार कोई भी मंत्र बोल कर 16 दिन तक समर्पित करे।
- इससे भी पूर्वजो को मुक्ति प्राप्त हो जाती है और तड़पन की जरूरत नहीं पड़ती।
- लोटा एक ही बार भरना है। 27 बार नहीं भरना है। एक बार भर के 27 बार रुक-रुक के जल चढ़ाना है।
- शिव महापुराण की कथा कहती है की 16 श्राद्ध में इस तरह से 27 बार जल समर्पित करने का फल हमें नवरात्रि और दिवाली के बीच प्राप्त हो जाता है।
- पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। घर में वैभव संपदा शुभता आ जाती है।
हर हर महादेव