इन दिनो बागेश्वर धाम काफ़ी ही चर्चा का विषय बना हुआ है। आज हम आपको बताते है की कितनी चतुराई से हनुमान जी ने रावण की कुलदेवी को रुष्ट करा दिया। महाराज धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री जी जो की बागेश्वर धाम में अर्ज़ी लगवाते है, उनके द्वारा बतायी गयी इस कहानी को पढ़ कर इसका आनंद उठाए।
जब हनुमान जी ने अपनी चतुरता से रावण की कुलदेवी को रुष्ट करा दिया
एक बार रावण ने लंका में अपनी कुल देवी का यज्ञ रखा। इस यज्ञ में हनुमान जी ने ब्राह्मण बन कर गाए। हनुमान जी ने ब्राह्मण का रूप धारण कर, वह के अन्य ब्रह्मणो की बोहोत सेवा की। ब्राह्मण रूपी हनुमान जी की इतने सेवा से बाक़ी सभी ब्राह्मण बोहोत प्रसन्न हुए। सभी ब्रह्मणो ने हनुमान जी, जोकी ब्राह्मण रूप में थे, उनसे बोला की माँगो क्या चाहते हो तुम, हम तुम्हारी मनोकामना पूरी करेंगे।
तो हनुमान जी ने हाथ जोड़ कर ब्रह्मणो से कहा की, अगर आपको मुझे कुछ देना ही है तो, आप जो रावण के लिए यज्ञ कर रहे है, इसके किसी श्लोक का एक अक्षर ग़लत कर दो। ये हनुमान जी ने इसलिए किया, ताकि देवी प्रसन्न होने की जगह रुष्ट हो जाए।
क्यूँकि ब्रह्मणो ने हनुमान जी को वचन दिया था, इसलिए उन्होंने ऐसा ही किया। इस वजह से रावण की कुल देवी प्रसन्न होने की जगह रुष्ट हो गयी।
जब ये बात रावण को पता चली तो वो बोहोत हँसा इस बात पर, और हनुमान जी की चतुराई को मान गया। रावण ने कहा की तुम बोहोत चतुर हो, हमारी ही लंका में, हमारे ही ब्रह्मणो को, हमारे ही अनुशठान में बहका दिया। हमारी ही कुल देवी को हमसे रुष्ट करवा दिया, तुमसे बड़ा इस संसार में कोई चतुर नहीं है।
इसलिए गोस्वामी जी ने लिखा : विद्यावान गुनी अति चतुर राम काज करबे को आतुर
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